दिन दोहराएगा poem by Ishika Saxena

 दिन दोहराएगा


फिर एक दिन ,
वही दिन दोहराया ।
किसी ने आज फिर किसी का ,
दामन दागदार बनाया ।।

“नारी की इज़्ज़त करते है हम” ,
ऐसा वो कहते हैं ।
लेकिन जो मौका मिले उन्हें ,
तो वो ही व्हैशी बन उठते हैं ।।

अपनी बेटी , बहू , बहन , माँ ,
इन सबकी जिम्मेदारी वो ,
बख़ूबी निभाते हैं ।
लेकिन जो बात हो दूसरे की ,
ये सारे रिश्ते भूल जाते हैं ।।

अपनी बच्ची को जो आंच आये ,
तो वो रौद्र रूप ले लेते हैं ।
यहीं बात आये दूसरी लड़की की ,
तो वो खुद रावण बन बैठते हैं ।।

ये मत भूलो ,
की प्रकर्ति का नियम है ,
जो बोओगे वही पाओगे ।
किसी और को दिया हुआ दर्द ,
एक दिन तुम भी पाओगे ।।

:- इशिका सक्सेना



Web Title: ishika saxena


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