स्वभाषा का गौरव poem by Jitendra Devtaval


।। स्वभाषा का गौरव ।।

राष्ट्रभाषा का सौभाग्य
समृद्ध होना चाहिए।
हिन्दी विस्तार हेतु
अभियान युद्ध होना चाहिए।।

जिव्हा वाणी का श्रंगार
भारत भारती होना चाहिए।
श्वास-प्रश्वास यथार्थ में
आरती होना चाहिए।।

चिरपोषित मृग मरीचिका का
अन्त होना चाहिए।
स्वभाषा का गौरव तो
दिगदिगंत होना चाहिए।।

भाषा माता भोली है ,
हमे सपूत होना चाहिए।
अन्तःस्थल आस्था से
अभिभूत होना चाहिए।।

उपेक्षा अवमानना का भाव
समाप्त होना चाहिए।
जनगनमन में हिन्दी-सुरभि
व्याप्त होना चाहिए।।

•••

रचयिता -
-----------------------------
नाम : - जितेन्द्र देवतवाल 'ज्वलंत'
निवास : - 174/2, वन्देमातरम, आदर्श कालोनी हनुमान मंदिर के पास, शाजापुर- 465 001 [मध्य प्रदेश]
------------------------------------------------------
सम्पर्क मोबाइल : 91794 82452
रचना अप्रकाशित, अप्रसारित, स्वरचित एवं मौलिक हैं। ©️®️



Web Title:jitendra devatwal 


आत्मनिर्भर दिवाली की दो प्रतियोगिताओं (कविता-प्रतियोगिता एवं लेखन-प्रतियोगिता) में भाग लें. 2,100/- का प्रथम पुरस्कार... अपनी रचनायें जल्दी भेजें ... 

vayam.app




Post a Comment

Previous Post Next Post