नारी शक्ति - Poem by Niharika Bhadauriya

 नारी शक्ति 

सौम्य,सुकोमल नारी क्िसके हाथों में कंगन है,

गंगा,यमुना,सरस्विी िैसा पावन संगम है,

क्िसके मन में ममिा,दया बहिा करुणा का रस है,

हैसम्पूणण सक्ृटि िननी क्िसका प्रकृिी पर वश है,

आँखों में क्िसके ज्वाला दगु ाण सा बाहूबल है,

लक्ष्मी बाई िैसा साहस चेनम्मा सा संबल है,

क्िसमें गायन,वादन,निणन िैसी कला समाहहि,

स्री ही करिी हम में िीवन रसधार प्रवाहहि,

सत्ता में आ िाये िो रक्िया िैसा शासन है,

प्रेम समाहहि हो गर िो राधा िैसा बन्धन है,

विणमान युग में स्री ने हैंसंबल हदखलाये,

िल में , थल में और वायुमें बहूबल हदखलाये,

राटर िभी करिा उन्नति िब दोनो पर ही बल हो,

स्री और पौरुष संग हो िो ववश्व वविेिा कल हो,

स्री इस संसार के ललये सुन्दर सा दपणण है,

अपने किणव्यों में लीन ककये िीवन अपणण है।



Web Title: Poem by Niharika Bhadauriya 


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