हमारी हिंदी - Poem by priya pandey

 "हमारी हिंदी


हिंदुस्तान की मस्तक पर विराजमान हिंदी,

हिमालय के माथे की बिंदी,

स्वतंत्र भारत की शान बढ़ाती,

राष्ट्र भाषा हमारी हिंदी,

हर क्षेत्रीय भाषा के साथ जुड़ी हमारी हिंदी,

सरल हैं इसका व्याकरण विधान,

समृद्ध है इसका शब्दकोष,

सीखने में सरल आसान हैं हमारी हिंदी,

प्रेमचंद, जयशंकर प्रसाद की अद्भुत कविताएं रस, छंद, अलंकार हैं हमारी हिंदी,

ब्रह्म गुप्त कुटिल से जन्मी नागर,

अक्षर - अक्षर करती भारत का गुणगान हैं हमारी हिंदी,

युगों -युगों से दुनिया की शिक्षा हैं हिंदी,

देश का संविधान हैं हमारी हिंदी रक्षक,

गागर में सागर भरती हमारी हिंदी,

राष्ट्र धरोहर विश्व का मान हैं हमारी हिंदी,

कबीर, सुर, तुलसी,की मानस चौपाई हैं हमारी हिंदी,

१४ सितंबर १९४९ को राजभाषा का दर्जा मिला हमारी हिंदी को संविधान के अनुच्छेद ३४३ से ३५१ तक चर्चा हुई हमारी हिंदी की ,

माटी के कण -कण में बस्ती हमारी हिन्दी,

देश धरोहर मर्यादा की शान हैं हमारी हिन्दी,

हिन्दुत्व की पहचान है हमारी हिन्दी,

राम-कृष्ण का मान है हमारी हिन्दी,

सागर , महासागर के लहरों में है हमारी हिन्दी,

हम हिन्दुस्तानीयो की जान है हमारी हिन्दी,


प्रिया पाण्डेय ""रोशनी"""



Web Title: Poem by priya pandey


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