हर नारी तैयार है poem by Swati Aanand

 * तेरे मन पर ,तेरे बदन पर सिर्फ तेरा अधिकार है।

तू डट कर रह खड़ी,चाहे गिराने को हजार तैयार हैं।।

* लोगों की निगाहें हैं शमशीर सी ।
और शब्द में तीर ,खंजर ,चाकू सी प्रहार है।।

* वो चीखेंगे ,करेंगे तेरा अपमान ।
पर तू रहना तन कर ,मान ना लेना की तू लाचार है।।

* रहना है तुझे निर्भया बनकर ।
रखना तुझे खुदपर एतबार है।।

* ज़ालिम है यह दुनिया बड़ी ।
मानवता यहाँ बेहद शर्मसार है।।

* कोई शख्स यहाँ है खत नहीं ।
हर शख्स यहाँ अख़बार है।।

* तू गिरना ना कभी ,चलना सर्वदा डटकर यूँही।
गिर तू गई गर अभी ,तो अबतक की हर पहल तेरी बेकार है ।।

* तू बेशर्मों को अब शर्मिंदा कर ।
तू भला क्यों शर्मसार है।।

* बन तू अब झाँसी की रानी ।
वक़्त को भी इसी का इंतेजार है ।।

* तोड़ चुप्पी अब तू ।
दिखा दुनियाँ को कि साहस औरत का श्रृंगार है।।

* न हो तू भयभीत अब ,तू लड़ अपने हक़ की लड़ाई ।
तेरे साथ लड़ने को हर नारी तैयार है ।।

【स्वाति】



Web Title: Swati Aanand


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