मेरा भारत Poem by Uteerna Dhar

 

मेरा भारत
चंदन समान मिट्टी है मेरे देश की,
मन करता है बार-बार तिलक लगाऊँ इसकी।
सोने की चिड़िया को लूटा गया कई बार,
फिर भी शत्रुओ का विफल रहा हर प्रहार।
वीर सपूत है कई इस देश की ,
जिन्होंने प्राणों को अर्पित कर के लौटाया है आजादी।
जल ,थल ,वायु हर ओर से हमले करने में ,
दुश्मन हमेशा नाकाम हुए हैं ।
कई भाषाओं और संस्कृति से बना है वतन हमारा,
और इसकी तन और मन से सेवा करना दायित्व है हमारा।
----------उत्तीर्णा धर


Web Title: utterna dhar


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