‘वयं’ एप : जिनके दिल में है इंडिया
Why Vayam? |
किसी ने सही कहा है कि कुछ बेहतरीन पाने के लिए चुनौतियों से लड़ना पड़ता है। कोरोना के इस दौर ने लोगों के लिए कई मुश्किलें पैदा की हैं, लेकिन इसका एक पॉजिटिव चेहरा भी है। सोशल डिस्टेंसिंग के दौर में भी डिजिटल माध्यम लोगों को एक-दूसरे से जोड़ने में कारगर साबित हुए हैं। कह सकते हैं कि यह डिजिटल मीडियम पर लोगों के बढ़ते भरोसे का दौर है, और इसने पूरी दुनिया को ‘ऑनलाइन’ कर दिया है। इसी कड़ी में हर इंडियन को दुनिया से जोड़ने वाली स्वदेशी ऐप है वयं।
## मार्केट के टॉप-10 एप में एक भी इंडियन नहीं
मार्केट में तमाम ऐसे एप्लीकेशंस हैं, जिनकी मदद से प्रोफेशनल्स की मुश्किलें आसान हुई हैं। चाहें ऑनलाइन एजुकेशन हो या फिर प्रोफशनल लाईफ। गूगल मीट और खासकर ज़ूम जैसे एप तो आज प्रोफेशनल्स की जिंदगी का अहम हिस्सा बन गए हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि इन एप्लीकेशंस के यूज़ के बदले आपको क्या कीमत चुकानी पड़ रही है?
दरअसल, इस तरह के सभी ऐप विदेशी हैं। आपका जो डेटा है, वह किन हाथों में जा रहा है, उसका आपको बिल्कुल एहसास तक नहीं हो पाता! इससे आपके न चाहते हुए भी आपकी और देश की सुरक्षा के लिए संकट पैदा हो सकता है। भारत दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी ऑनलाइन मार्केट है, लेकिन इसके बावजूद भारत में सबसे ज्यादा यूज़ किए जाने वाले पहले दस एप में से कोई भी इंडियन नहीं है।
## डिजिटल गुलामी के खतरे
ज़ूम जैसे एप भारतीय मार्केट में छाए हुए हैं, और हम अनजाने में ऐसे एप्लीकेशंस के डिजिटली गुलाम बनते जा रहे हैं। इसको इस तरह समझा जा सकता है कि हमारा डेटा इन विदेशी ब्रांड्स द्वारा इस्तेमाल किया जा रहा है। इस डेटा का इस्तेमाल हमारे देश के खिलाफ भी हो सकता है।
एक पॉपुलर ऐप पर कई देशों की सरकारों ने प्रतिबंध लगा दिया है। वहां के सरकारी कामकाज, ऑफिशियल मीटिंग में उस ऐप का इस्तेमाल वर्जित है। पाया गया है कि देश की टॉप सीक्रेट जानकारी या कॉन्फिडेंशियल इन्फॉरमेशन जो उस ऐप पर मीटिंग के दौरान सामने आती थी, कंपनी उस डेटा को भी स्टोर करती थी, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा है।
ये स्थिति आगे चलकर इकोनॉमिक, कल्चरल, सोशल या फिर राष्ट्रीय सुरक्षा, जैसे तमाम मामलों में देश को डिजिटल गुलामी की तरफ ढकेल सकती है।
## विदेशी ऐप का भारत में क्या काम ?
ऑनलाइन कम्युनिकेशन के ऑनलाइन टूल्स किसी भी देश की सुरक्षा के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण होते हैं। ऐसे में कम्युनिकेशन के लिए ऐसे विदेशी ब्रांड्स का उपयोग करने से हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा पर भी खतरा हो सकता है। दरअसल, ये ब्राण्ड भारतीय कल्चर के अनुरूप हैं ही नहीं!
ये तो धीरे- धीरे भारतीय कल्चरल वैल्यूज़ को कमजोर करते हुए भारतीयों के व्यवहार को वेस्टर्न वैल्यूज़ के अनुकूल बनाना चाहते हैं। हालांकि इसमें कोई हैरत नहीं होनी चाहिए, क्योंकि विदेशी ब्राण्ड भला भारत की संस्कृति की परवाह क्यों करने लगे?
इंडिया के बारे में तो इंडियन ही सोचेंगे ना!
## भारत को चाहिए ‘स्वदेशी’ ऐप
आज भारत को जरूरत है भारतीय एप्लीकेशन की, जो हो पूरी तरह से मेड इन इंडिया, मेड फॉर इंडिया और मेड बाई इंडिया।
वक्त की जरूरत है कि हम वोकल फॉर लोकल, आत्मनिर्भर भारत के मिशन को अपनाएं। भारत सरकार भी लगातार ‘स्वदेशी’ यानी मेड इन इंडिया पर जोर दे रही है। लोग सोशल मीडिया पर तो इसका समर्थन करते हैं, लेकिन अपनी निजी जिंदगी में अनजाने में सही, लेकिन इसको मानते नहीं दिखते।
## विदेशी ऐप को टक्कर देगा ‘वयं’
आखिर क्या वजह है कि भारत जैसे विशाल देश में लोग भारतीय के बजाय विदेशी एप की तरफ भागते हैं। इसकी सबसे प्रमुख वजह तो यह है कि भारत में अब तक कोई ऐसा एप्लीकेशन नहीं था, जो सर्विस के मामले में इन विदेशी एप को टक्कर दे सके। दूसरी बात यह कि आज के वर्चुअल समय में लोग ट्रेंड पर चलते हैं। जो ट्रेडिंग होता है, उसे ही लोग अपनाते हैं। इस कॉम्पिटिशन में भारतीय ऐप, विदेशी से पिछड़ जाते हैं।
लेकिन अब मार्केट में आया है एक विशुद्ध भारतीय (Pure Indian) स्वदेशी सुपर एप्लीकेशन, जिसका नाम है ‘वयं’। यह भारत का, भारत के लिए, भारत में, भारत द्वारा तैयार डिजिटल प्रोडक्ट है।
## अब मीटिंग होंगी वर्ल्ड-क्लास, किन्तु ऐप होगा स्वदेशी!
वयं, दरअसल, देवभाषा संस्कृत का शब्द है, जिसका मतलब होता है ‘हम’, ‘एक साथ’, ‘ताकत’, ‘एकता’, ‘विविधता में एकता’, ‘एक्शन’, ‘सर्विस’। अपने नाम से ही यह सबको साथ लेकर चलने की बात करता है। ‘देश सबसे ऊपर’ की फिलॉसफी पर आधारित यह एप्लीकेशन लोगों को उनकी जड़ों से जोड़ने की एक कोशिश है। यह सिर्फ एक एप्लीकेशन ही नहीं, बल्कि इसमें हमारी भावनाएं जुड़ी हैं। इसके जरिये हम भारतीयों को ऐसा एक्सपीरियंस देना चाहते हैं, जो उन्हें भारतीय संस्कृति से जोड़ सके। हम भारत को एक भरोसेमंद, वर्ल्ड-क्लास प्रोडक्ट देना चाहते हैं। भारत के आम आदमी के साथ सरकारों, सरकारी कंपनियों, पब्लिक सेक्टर की कंपनियों, बैंकों और फाइनेंशियल इंस्टीट्यूट्स के लिए यह प्रोडक्ट उपयोगी साबित हो सकता है।
भरोसे का दूसरा नाम है ‘वयं’
आज समस्या यह है कि आज के प्रोफेशनल आंख मूंद कर जूम जैसे ऐप का उपयोग कर रहे हैं, तो उसकी वजह यह है कि उन्हें पता ही नहीं है कि इसका कोई अन्य ऑप्शन मौजूद है या फिर नहीं। सुपरप्रो द्वारा पॉवर्ड 'वयं' ऐप ऑनलाइन मीटिंग्स और प्रोग्राम्स के लिए एक भरोसेमंद, सुरक्षित और उपयोग में आसान विकल्प बन कर उभर रहा है।
भरोसेमंद इसलिए, क्योंकि यह एक भारतीय कंपनी है, जो आइआईटी के इंटरप्रैन्योर्स और इन्वेस्टर्स द्वारा संचालित है। आप इस पर भरोसा कर सकते हैं क्योंकि यह भारत का प्रोडक्ट है। यह आपका अपना प्रोडक्ट है।
सुरक्षित इसलिए, क्योंकि यह एंड टु एंड इन्क्रिप्शन पर आधारित है। वयं समझता है कि राष्ट्र धर्म सर्वोपरि धर्म है। आपके डेटा को सुरक्षित रखना ही वयं के लिए राष्ट्र धर्म है।
उपयोग में आसान इसलिए, क्योंकि केवल एक क्लिक में आप इसका उपयोग कर सकते हैं। कोई तामझाम नहीं!
## दुनिया देखेगी ‘स्वदेशी’ की ताकत
जाहिर है कि वेस्टर्न कल्चर के पीछे भागती दुनिया को थामने, उसे आईना दिखाने के लिए जरूरी है एक स्वदेशी मिशन की, जो पूरी दुनिया को भारतीय संस्कृति और स्किल की ताकत दिखा सके। ‘वयं’ एक ऐसा ही स्वदेशी एप्लीकेशन है, खासतौर पर भारतीय प्रोफेशनल्स की सुविधा के लिए तैयार किया गया है 'वयं'। यह न सिर्फ उनकी सभी जरूरतों को पूरा करेगा, बल्कि उनमें ‘राष्ट्रीय स्वाभिमान’ का भाव भी जगाएगा। ‘वयं’ एप उन सबके लिए है, जिनके दिल में ‘इंडिया’ बसता है।