कविता का शीर्षक 'तू नारी है तू उठना सीख'
तू नारी है तू उठना सीख
तू नारी है तू चलना सीख
छोड़ कर समाज को
तू अपने सपनों को जीना सीख
तू नारी है तू उठना सीख
अपनो के साथ मे रह कर
गैरो को अपना बनाना सीख
तू नारी है तू कहना सीख
तू नारी है तू बोलना सीख
तू नारी है तू उठना सीख
अपनी हँसी को रोक मत
तू दिल से अपने हँसना सीख
जोड कर अपने पंखों को
तू फिर एक बार उड़ना सीख
तोड़ कर समाज के नियमो को
तू जीवन में आगे बढ़ना सीख
तू नारी है तू उठना सीख
Web Title: poem by Akriti srivastava
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