बेटियों के अधिकार poem by Chhangani Singh

 बेटियों के अधिकार


जो बेटियों को सम्मान नहीं देते
क्या वो इंसान भले
बेटियों को सम्मान मिले।

कहता है ये जग सारा बेटी है धन पराया
तो आंखों में आंसू क्यों आए
बेटी जब ससुराल चले
बेटियों को प्यार मिले।

कहता है ये जग सारा
भाई बहन का रिश्ता प्यारा
तो क्यूं जग कहता भगवान से कि हमें बेटी ना मिले
बेटियों को समानता मिले।

बेटी से बहू बनकर ससुराल आई
तो कहते हैं दहेज में क्या लाई
वह यह सोचकर खुशी के दीप जलाए
कि उसको नए मां-बाप मिले
बेटियों को अपनापन मिले।

कहता है ये जग सारा
बेटा होता है कुलदीप हमारा
बेटे की हाथों दिया जलाए
बेटी के हाथों चूल्हा जले
बेटियों को अवसर मिले।

कहता है ये जग सारा
बेटा बनेगा अफसर हमारा
बेटी को चहारदीवारी से बाहर निकालो
बेटी भी फतह करेंगी किले
बेटियों को स्वतंत्रता मिले।



Web Title: Chhangani Singh


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