साथ तुम्हारे ही रह कर,
तुमको कमजोर बनाऊंगी,
अपनी आजादी की राह की,
कि हर कांटे को सह जाऊंगी!!
नारी हुं कमजोर नहींं,
अब अपमान ना सह पाऊंगी,
मेरे अंदर है आग भरी,
बन भानु ज्योत फैलाऊंगी!!!
अन्याय सहन नहीं अब करना,
अपनी हर कर्तव्य निभाऊंगी,
किंतु शोषित नहीं रह पाऊंगी,
अपने लक्ष्य को करने हासिल,
हर चुनौती पार कर जाऊंगी !!
तेरी मुट्ठी में कैद ना समझ मुझे,
तुझको खोखला कर जाऊंगी,
अपनी बुद्धि की छेनी से,
सौ टुकड़े तुझको कर जाऊंगी !!!
मिले प्यार सम्मान अधिकार मुझे,
खुद को सुपुर्द कर जाऊंगी,
अन्याय सहन नहीं अब करना,
बन काली अन्याय मिटाऊंगी !!
Web Title: Poem by Nayansi Agarwal
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