भावों की भाषा हिन्दी हूं poem by Nitesh Mandwariya

 

भावों की भाषा हिंदी हूं

 मैं आर्य कुल की भाषा हूं
फारसी की दी परिभाषा हूँ
राष्ट्रभाषा की एक आशा हूं
जन मानस की अभिलाषा हूं।

अपभ्रंश से मेरा उद्भव है
मेरी नींव में तत्सम-तदभव है
पद्य दोहा मेरा शैशव है
वीर गाथा मेरा वैभव है।

भारत की वाचिक पूंजी हूं
में विश्व मंचों से गुंजी हूं
भारत मां की मैं बिंदी हूँ
भावों की भाषा हिंदी हूं।

मेरा लाड़ लड़ाया सिद्धों ने
योगी वंजयानी बौद्धों ने
धारसेन के शिलालखों ने
देवसेनी जैन उल्लेखों ने।

मेरा मान बढ़ाया वीरों ने
खुमाण भोज हम्मीरों ने
चंद्रवरदाई के प्राणों ने
शब्द भेदी पृथ्वी बाणों ने।

मैं कन्नौजी शौरसेनी हूं
बृज अवधि रजपूतानी हूँ
लोकभाषा की पगडंडी हूं
भावों की भाषा हिंदी हूं।

मैं खड़ी मगधी बुन्देली हूं
तोता ए हिंद की बोली हूं
खुसरो की मैं पहेली हूं
उर्दू की खास सहेली हूं।

मुझे गाया संत फकीरों ने
सूर मीरा तुलसी कबीरों ने
सुफियों के प्रेम प्रबंधों ने
संतों के भक्ति ग्रंथों ने।

मैं प्रेम की सूफी शैली हूं
भक्ति की मीठी बोली हूँ
बहती गंगा-कालिंदी हूँ
भावों की भाषा हिंदी हूँ।

दयानन्द की शब्द शक्ति हूं
स्वभाषा की अभिव्यक्ति हूं
भारतेंदु की देशभक्ति हूं

द्विवेदी की जागृति हूं।

शंकर की कामायनी हूं
विरह की छाया देवी हूं
मैं पंत का प्रेम प्रकृति हूं
निराला की छंद-मुक्ति हूं।

संस्कृत कुल की बेटी हूं
देवनागरी में ही कहती हूँ
प्राकृत रीति से बंधी हूं
भावों की भाषा हिंदी हूं।


मैथिली की हूं मैं भारती
भारत मन उतारे आरती
दिनकर की मैं जनक्रांति
गांधी की अहिंसा शांति।

प्रेमचंद की कर्मभूमि हूं
नागार्जुन की भावभूमि हूँ
मुंशी की प्रभावी शैली हूँ
माखन की ओजस्वी बोली हूं।


प्रदीप की आंख का पानी हूं
लता की सुरीली वाणी हूं

मैं बॉलीवुड की हिंदी हूं
भावों की भाषा हिंदी हूं।

मैं सागर पार भी बोली हूं
मैं जय हिंद की बोली हूं
मैं जन गण मन की हिंदी हूं
भावों की भाषा हिंदी हूं।



Web Title: Nitesh मंडवारिया


आत्मनिर्भर दिवाली की दो प्रतियोगिताओं (कविता-प्रतियोगिता एवं लेखन-प्रतियोगिता) में भाग लें. 2,100/- का प्रथम पुरस्कार... अपनी रचनायें जल्दी भेजें ... 

vayam.app




Post a Comment

Previous Post Next Post