हिंदी जो सबसे प्यारी है- Poem by Prachi Agrawal

 "हिंदी जो सबसे प्यारी है,

 हम सबकी सखी सहेली सी है,

रस अलंकारों से सजी,

 परिपूर्ण एक पहेली सी है, 


आ से ज्ञा तक के अक्षर में, 

सारी दुनिया आ जाती है, 

शब्द महज बावन है,

 लेकिन सबको बडी सुहाती है, 


मासूम से जीवन सी सुंदर

 जैसे हो किसी के बचपन सी, 

 हिंदी वैसे ही सहज सरल,

 नाजुक पतों की पलकव सी, 


सोलह श्रृंगार में श्रेष्ठ है,

 जो माथे की बिंदी है,

 हिंदी है पहचान हमारी,

 शान हमारी हिंदी है,


 जैसे बागों में कलियां है, 

कल कल कर बहती नदिया है,

 जो धरा पर हो जीवंत  स्वर्ग हैं,

वैसे यह हमारी हिंदी है, 


जो बसंत के अवसर पर नई कोपले आती है,

 आतप के गर्म थपेड़ों से भी,

 जैसे हमें बचाती हैं, 

जैसे वर्षा की शीतल बूंदें हैं 


वैसे ही हमारी हिंदी है,

वैसे ही हमारी हिंदी में...."



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