पर्व अपने स्वदेशी बनाएं "- Poem by Shweta Suhasaria

 

"पर्व अपने स्वदेशी बनाएं 


आओ हमसब मिलकर देश को नव राह दिखाएं 

पर्व जितने हैं हमारे उनको अब स्वदेशी बनाएं 


प्रण लें अपने आराध्य की प्रतिमा 

न होगी चीनी मिट्टी की ,

रेशम से सजाकर के पूजेंगें

मिट्टी अपनी धरती की,

मूर्तिकारों के जीवन को आओ मिलकर उन्नत बनाएं 

पर्व जितने हैं हमारे उनको अब स्वदेशी बनाएं ।


प्रण लें अब चीनी रोशनी से 

न करेंगें रोशन अपना दयार,

माटी के दीपक की ज्योति फ़ैले 

अबकी चले ऐसी बयार,

कुम्हारों को जश्न मनाने का आओ हम अवसर दे जाएं 

पर्व जितने हैं हमारे उनको अब स्वदेशी बनाएं ।


पटाखे,खिलौने,वस्त्र,आभूषण 

या हो अब कोई उपहार ,

न चलेगी उनकी कोई नीति 

गर हो जाएं हम तैयार ,

चीनी आयात के पहले हम स्वदेशी वस्तुओं की नीति बनाएं 

आओ मिलकर के हम पर्व अपने स्वदेशी बनाएं ।

                               पर्व अपने स्वदेशी बनाएं ।


 

🖋स्वरचित 

   श्वेता सुहासरिया 

बाकुड़ा (पश्चिम बंगाल)

"


Web Title: Poem by Shweta Suhasaria 


आत्मनिर्भर दिवाली की दो प्रतियोगिताओं (कविता-प्रतियोगिता एवं लेखन-प्रतियोगिता) में भाग लें. 2,100/- का प्रथम पुरस्कार... अपनी रचनायें जल्दी भेजें ... 

vayam.app




Post a Comment

Previous Post Next Post