"हर जगह अंग्रेजी ही सब कुछ होती है,
इसीलिए हिंदी अपना अस्तित्व खोती है।
हिंदी मातृभाषा है फिर क्यों? अंग्रेजी को पूजा जाता है।
भारतीयों की आवाज को, पहला स्वर! हिंदी से ही मिल पाता है।
फिर क्यों? हिंदी को निचले स्तर का समझा जाता है।
हर जगह अंग्रेजी का बोलबाला है,
हमने ही तो हिंदी को दबा के रख डाला है।
हर जगह अंग्रेजी...............
बड़े-बड़े साहित्यकारों ने हिंदी को संरक्षण प्रदान किया, वर्तमान युगीन मानव ने हिंदी का सर्वविनाश किया।
हर चकाचौंध में अंग्रेजी का उजाला है,
हिंदी बोलने वालों के मुंह पर लगा ताला है।
अंग्रेजी का महत्व जितना ज्यादा बढ़ गया ,
हिंदी का महत्व उतना ही कम हो गया।
हर जगह अंग्रेजी...........
मैं कतई अंग्रेजी का विरोध नहीं करती,
अंग्रेजी सीखना भी जरूरी समझती,
हिंदी को धिक्कार कर ,अंग्रेजी का सम्मान करना!
यह तो कोई समझदारी नहीं होती।
हर जगह अंग्रेजी...........
हिंदी भाषा बोलने में जो भी शर्माता है,
वह अपनी मातृभाषा से प्यार नहीं कर पाता है!
अंग्रेजी को स्वीकार कर हिंदी भूलते जाता है,
हिंदी की कब्र खोदकर ,वह मिट्टी उस पर डालता है,
वह मिट्टी उस पर डालता है!
"
Web Title: Poem by Yamini Nagpure
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