धन की दैवत तुम
शक्ती का स्वरूप हों।
शांती की देवी तुम
तुम नारी हों।
धर्म से लेकर मोक्ष तक
तुम हर और छाई हों।
गीत संगीत हर कला भी तुम
तुम नारी हों।
धरती से लेकर अंबर तक
अपने भीतर समाई हों ।
इस सृष्टि की जननी तुम
तुम नारी हों।
मां बेटी पत्नी बनकर
तुम हर वक्त साथ निभाती हों।
ईश्वर की श्रेष्ठ कलपना तुम
तुम नारी हों ।
Web Title: Poem by Pratiksha Ganraj
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