हम सब हिंदुस्तानी हिंदू हैं, हम सबकी माता हिंदी है,
देशों की भाषाएँ होंगी अपनी परिभाषा हिंदी है।
जैसे कैलाश सुशोभित रहता अति उत्तुंग ऊँचाई पर,
वैसे ही हिंदी शोभित है नित्य नई तरुनाई पर।
(नीचे सभी घटनाएं हिंदी से संबंधित है।)
तुलसी की मानस कह लो या जोशी जी का व्यंग्य कहो,
नामकरण से लेकर अंतिम संस्कारों का सत्य कहो।
बापू का सत्याग्रह कह लो या भगत सिंह का इंकलाब कहो,
भारत है जिंदाबाद सदा और हिंदी जिंदाबाद कहो।
चाहे कोई जन्म से गुजराती या फिर की मराठा सिंधी है,
सब के अंतर में समता है, हम सब में बसती हिंदी है।
ज्यों शिव जी की शिखाओं पर शोभित चंद्र अंश अकलंक सदा,
त्यों प्रखर अजर हर्षित उल्लासित मेरे भारत की हिंदी है।
Web Title: Poem by Rahul Raghu
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