नारी तू महान - Rinkle Kumbhat

 नारी तू महान 


नारी मान है, सम्मान है, घर का स्वाभिमान है 

मत रोंदो उसे वह जगत का आधार है 

आज नहीं वो बेबस और लाचार है 

आज वो धारण कर चुकी दुर्गा का भी अवतार है। 


बेबसी की जंजीरो से छुड़ा लिया जिसने अपना दामन है 

खुले आसमान की छाव में दुनिया में आज उसका नाम है 

कल्पना चावला की बात करे या किरण बेदी को सलाम करे 

हर क्षेत्र में नारी ने बनायी आज अपनी अद्भूत पहचान है। 


ममता भरी जिसके आँचल में है 

त्याग करती जो हर बार है 

देवी का दर्जा मिला है 

नारी तू तो महान है। 


समर्पण जिसके स्वाभाव में है, अर्पण जिसके संस्कार है

हर रूप में ढल जाती , हर देह में निखर जाती  है 

वो है तो दुनिया है , दुनिया है तो हम है 

हमारा स्वाभिमान है वो, निर्मल विचारो की धारा है। 


सुई की नौक पे चलना हो 

या भिड़ना हो आज अंगारो से 

आज नहीं वो डरती किसी से 

खुद बनी अपना अभिमान है। 


आज नहीं जीती किसी के अहसान तले 

खुद ने रोशन किया अपना आशियाना है 

विरूद खड़ी आज वो  अत्याचारों से 

आज बनी वो प्रचंड ज्वाला है। 


एक नारी की यही कहानी है 

सागर में समाहित उसके गुणों की प्याली है 

दुनिया चलती आज उसके पदचिन्हों पर 

क्युकी उसकी महिमा तो अजब निराली है।



Web Title: Poem by Rinkle Kumbhat


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