"स्वदेशी दीपावली
मिट्टी के दीये जलाओ, लक्ष्मी जी को घर बुलाओ।
करो चीनी समान का विरोध फिर दीवाली तुम मनाओ।
दीये बेचे बूढ़ी काकी जिसके चहरे पर उदासी।
उनका जीवन खुश कर जाओ फिर दीवाली तुम मनाओ।
चीनी बम ना फटाका ना फुलझड़ियां जलाओ।
अगरबत्ती, धूपदिप से हवन तुम कराओ।
ऑनलाइन करे खरीददारी, रस्ता देखे है व्यापारी।
धन को मत भेजो परदेश, गृहप्रवेश तुम कराओ।
लघुउधोग, गृहउधोग को आगे तुम बढ़ाओ।
करो इन पर भी निवेश फिर दीवाली तुम मनाओ।
चीनी लाइट की लड़िया, चले एक दो दिन ही बढ़िया।
दीयों से पूरा घर सजाओ फिर दीवाली तुम मनाओ।
करो विदेशी समान का बहिष्कार, स्वदेशी तुम अपनाओ।
फूलों की रंगोली बनाओ, तोरण द्वार पर सजाओ।
चॉकलेट का नही देशी मिठाई का भोग लगाओ।
खुश होंगे लक्ष्मी कुबेर फिर दीवाली तुम मनाओ।
हर घर हो रोजगार खुशियों का दो तुम उपहार।
भूखा ना सोये कोई बच्चा ना रोये कोई ऐसा त्यौहार तुम मनाओ।
हो आत्मनिर्भर भारत गर्व से तिरंगा तुम फहराओ।
करो चीनी समान का बहिष्कार फिर दीवाली तुम मनाओ।
दे दो जन जन को ये संदेश, भगवा रंग रगेगा देश।
वोकल फ़ॉर लोकल को अपनी आवाज बनाओ।
फिर दीवाली तुम मनाओ।
स्वदेशी समान को ही अपने घर मे लेकर लाओ।
मेक इन इंडिया, मेड इन इंडिया को तुम अपनाओ।
करो विदेशी समान का निषेध, मेक इन इंडिया को ही दो प्रवेश।
स्वाभिमानी बने तब देश फिर दीवाली तुम मनाओ।
अमिता मिश्रा
बिलासपुर, छत्तीसगढ़
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