दीयों की शक्ल में कला के माध्यम- Poem by Arvind sahu

 

"दीयों की शक्ल में कला के माध्यम से 

अपने शब्दों को उकारा है।


रौनक हुआ जिनके दीपों से सारा बाजार

 उन्होंने फिर पुनः आपको पुकारा है।


कला को दे देना उचित सम्मान 

फिर लौट आए मिट्टी के सामान।  



देश में प्रधान ने लगाई थी गुहार

लोकल में वोकल हो पुनः इस बार।


दीपो के इस पर्व में मिट्टी को न भुल जाना।

मिट्टी के दीपों से ही दीपावली पर्व मानना।

©अरविंद साहू"


Web Title:  Poem by Arvind sahu , Vayam official blog content

vayam.app




Post a Comment

Previous Post Next Post