" ""स्वदेशी भारत ,आत्मनिर्भर भारत""
आत्मनिर्भर भारत के लिए कुछ पंक्तियां :-
मजबूत इरादों से ही जीत होती है!
इरादों में बस जान होनी चाहिए, बस कुछ करने का मकसद और जुनून होना चाहिए ।
दीपावली है दीपों का त्योहार ,
अंधकार मिटाकर, दीप रोशनी का उत्साह
यह दीप रोशनी किस तरह से, घर-घर को महकाती है खुशहाली की सुखद हवा ,मिट्टी के दीपों के साथ
एक शांत और मजबूत वातावरण निर्मित हो जाता है ।
जब हम देश की मिट्टी में जीते हैं।
यहां की परंपराओं का आदर- सम्मान करते हैं
मानते हैं कि शुद्धता तो देश के सामानों में ही है
फिर क्यों हम चीनी सामान का उपयोग करते हैं
क्यों हम मिट्टी के दीपों को कम ,चीनी सामान को खरीदते पीछे नहीं आते।
स्वदेशी भारत ,आत्मनिर्भर भारत का सपना पूरा होते हुए देखना है तो हमें भारत में निर्मित सामान का उपयोग करना ही होगा ।
बस इसके लिए हमें केवल दिखावा करने की प्रवृत्ति को छोड़ना होगा ।
चीनी सामान की खरीदारी बंद कर ,
स्वदेशी वस्तुओ को अपनाना ही होगा।
एक भारत ,श्रेष्ठ भारत की कल्पना को साकार करना है तो,
स्वदेशी भारत की वस्तुओं को अपनाना ही होगा।
दिखावे से निकलकर अपने देश की परंपरा से जुड़ना होगा ।
आत्मनिर्भर भारत की कल्पना को साकार करना होगा मेड इन चाइना की भावना को छोड़कर
मेड इन इंडिया की भावना को अपनाना ही होगा दीपावली का पर्व हर वर्ष हम हर्षोल्लास व धूमधाम से मनाते हैं
इस बार जरा पटाखों को छोड़कर मिट्टी के दीपों का प्रयोग कर ही
दीपावली बनाएं, खुशियों की लहर जरा स्वदेशी मिठाइयों से बढ़ाएं स्वदेशी मिठाईयां खुद भी ले साथ ही साथ अपने आसपास के लोगों को भी प्रेरित करें।
आओ, हम सब मिलकर करेंगे चीनी सामान का बहिष्कार ,
दिखावे की प्रवृत्ति से दूर जाकर जरा , मन में सकारात्मकता का उजाला लाएंगे आसपास का वातावरण भी पवित्र बना कर ,पर्यावरण को साफ बनाएंगे।
दीपोत्सव को दियो संग ही मनाएंगे।
जय हिंद जय भारत ।"
Web Title: Poem by Divya Meena , Vayam official blog content