आत्मनिर्भर दिवाली- Poem by Phool singh

 

"आत्मनिर्भर दिवाली


आ रही है फिर दीवाली

उजियाला घर लाने को 

कूडा़-कचरा सब घर से निकालों

स्वच्छता, सुन्दरता घर-वातावरण की बढा़ने को।।


बम, पटाखे फूलझड़ियाँ कम जलाना, पर

दीप, लडियाँ लाना घर-बाहर खूब सजाने को 

नकारात्मकता, गम, तम-मन, घर से मिटा दो

माता लक्ष्मी को घर बुलाने को।।


आज प्रदुषण एक बडी़ समस्या 

नही बढा़ना धुआँ, ज्यादा ध्वनि प्रदुषण को 

खुशियों में किसी की विघ्न पडे़ न

दीवाली का ऐसा स्वागत हो।।


बहिष्कार करना चीनी समान का

न उपयोग में लाना किसी चीनी वस्तु को

देशी समान ही सर्वोत्तम होता 

जो आत्मनिर्भरता में भी सहायक हो।।


भूल जाओ सब गिले-शिकवें

अच्छाईयों से भर जाने को

सभी धर्मों का भेद मिटाकर 

आओ मिल जाएँ सब, बडा़ परिवर्तन देश में लाने को।।


उपहार, मिठाईयाँ संग प्रेम-मैत्री बाँटों

सकारात्मकता फैलाने को

हर पल हर क्षण वक्त बदल रहा 

स्वीकार करों बस वास्तविकता को।।


होनी तो सदा होकर रहेगी 

आती, परीक्षा हमारी लेने को 

सहनशक्ति सगं अनुभव बढा़ती 

तैयार करें हर मुश्किल से लड़ जाने को।।


बडी़ उम्मीदे संग हर वर्ष ये आती 

खुशियाँ घर में लाने को

स्वागत करो सगे-सम्बंधियों संग

दीवाली आ रही फिर से सभी को मिलाने को।।"


Web Title:  Poem by Phool singh , Vayam official blog content

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