आत्मनिर्भर दिवाली उत्सव - Poem by Pinki Khandelwal

 "आत्मनिर्भर दिवाली उत्सव 


माना त्योहारों का समय है,

हर दिल में उमंग उत्साह भरा है,

पर उस आड में सावधानी बरतना भी जरूरी है,

बम,पटाखे की चारों और भरमार है,

और दुर्घटना होने की अधिक संभावना है,

इस ओर अधिक ध्यान रखना है,

उमंग उत्साह माना ज्यादा है,

पर जीवन भी हमको प्यारा है,

होता कितना प्रदूषण और कोलाहल है,

जब चलाते बच्चे बड़े बम और पटाखे है,

न जाने कितना होता नुकसान है,

जरा सोचो लोगों को होती कितनी परेशानी है,

जब चलाते सड़कों पर अनायास बम पटाखे है,

माना त्योहारों का मौसम आता,

भूल जाते सब कुछ हम,

पर जीवन होता सबको प्यारा है,

उस खातिर सावधानी बरतनी है,

जितना हो सके प्रदूषण कम फैलाना है,

और जीवन को बेहतर बनाना है,

हम भारत के नागरिक हैं,

जागरूकता फैलाना हमारा काम है,

सबको दिवाली का महत्व बनाना हमारा धर्म है,

इस आड में होती जो लापरवाही,

और होता जो चीनी सामान का धंधा है,

उससे सबको अवगत कराना है,

हर संभव प्रयास करना है,

चीनी सामानो का विरोध करना है,

क्यों अपनी मेहनत और कमाई भेजनी दूसरे देशों में,

क्यों न भारतीय सामानों का करें विकास,

और चीनी सामानों का कर बहिष्कार,

भारत को आत्मनिर्भर बनाना है,

और आत्मनिर्भरता के साथ दिवाली उत्सव मनाना है। 

"



Web Title:   Poem by Pinki Khandelwal, Vayam official blog content

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