आओ बहिष्कार करें - Poem by Praveen Gola

 

"        शीर्षक - आओ बहिष्कार करें


आओ बहिष्कार करें ,

इस दिवाली बार - बार ,

बाजारों में बिकने वाले  ,

चीनी सामान का हजार बार |


ये सामान यहाँ आया कैसे  ?

ज़रा इस पर भी गौर फरमाये ,

जो देश कभी अपना हो ना सका  ,

उसके सामान को कैसे गले लगायें ?


पहले कभी इसे यहाँ लाया गया ,

राजनीती के तमगो से चमकाया गया  ,

थोड़ी कीमत कम रखकर ,

हम भारतवासियों को ललचाया गया |


हम मासूम इस जाल में फँसते गए ,

अपने घर में चीनी सामान भरते गए ,

जिस सामान की कोई गारंटी नहीं ,

उस सामान पर दम भरते गए |


और फिर धीरे - धीरे पर्दा हटता गया ,

इस सामान का असली रंग दिखता गया ,

पर हो चुकी थी तब बहुत देर ओ भाई ,

चीनी सामान ने सब जगह अपनी बनाई |


लेकिन हम अब भी गर शुरुआत करें ,

और बाजार से इस सामान को साफ करें ,

तो बहुत जल्द वो मुकाम आयेगा ,

जब वोकल फॉर लोकल समझ आयेगा  |


इसलिये आज ही ये प्रण करते हैं ,

इसे खरीद के ना जेब खाली करते हैं ,

बहिष्कार करके इसका बार - बार  ,

आओ दिवाली मनायें सब मिलके यार ||

"


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