" शीर्षक - आओ बहिष्कार करें
आओ बहिष्कार करें ,
इस दिवाली बार - बार ,
बाजारों में बिकने वाले ,
चीनी सामान का हजार बार |
ये सामान यहाँ आया कैसे ?
ज़रा इस पर भी गौर फरमाये ,
जो देश कभी अपना हो ना सका ,
उसके सामान को कैसे गले लगायें ?
पहले कभी इसे यहाँ लाया गया ,
राजनीती के तमगो से चमकाया गया ,
थोड़ी कीमत कम रखकर ,
हम भारतवासियों को ललचाया गया |
हम मासूम इस जाल में फँसते गए ,
अपने घर में चीनी सामान भरते गए ,
जिस सामान की कोई गारंटी नहीं ,
उस सामान पर दम भरते गए |
और फिर धीरे - धीरे पर्दा हटता गया ,
इस सामान का असली रंग दिखता गया ,
पर हो चुकी थी तब बहुत देर ओ भाई ,
चीनी सामान ने सब जगह अपनी बनाई |
लेकिन हम अब भी गर शुरुआत करें ,
और बाजार से इस सामान को साफ करें ,
तो बहुत जल्द वो मुकाम आयेगा ,
जब वोकल फॉर लोकल समझ आयेगा |
इसलिये आज ही ये प्रण करते हैं ,
इसे खरीद के ना जेब खाली करते हैं ,
बहिष्कार करके इसका बार - बार ,
आओ दिवाली मनायें सब मिलके यार ||
"
Web Title: Poem by Praveen Gola , Vayam official blog content