"सस्ते के लालच से निकल, स्वदेशी अपनाइए,
शत्रुता निभाने वाले चीन से, व्यवहार न कीजिए ।
पंचशील के मायाजाल में देश फंस गया,
विस्तारवाद का नाग,बहुल क्षेत्र डस गया।
समाजवाद के मोह में,सारा देश लुट गया,
साम्यवाद के विष ने देश को सुला दिया।
साम्यवाद के प्रभाव ने उद्योग निगल लिया,
अवसरवादी चीन को,हमारे बाजार ने लुभा लिया।
यहाँ का उद्योग,नीति -दोषों ने डुबो दिया,
व्याप्त भ्रष्टाचार ने,सब कुछ ही खो दिया।।
देश का सामान महंगा,गुणवत्ताहीन हो गया,
चीन का सामान सस्ता,अविश्वसनीय हो गया।
बेरोजगारी का देश में,बोलबाला हो गया,
सस्ते के लालच में,स्वदेश प्रेम खो गया।।
अब तक देश चीन से धोखा खाता रहा,
भाव स्वदेश प्रेम स्वतः दूर होता रहा।
अब कुशल नेतृत्व से स्वदेश प्रेम पनप रहा,
सटीक नीतियों से,हर ओर विकास हो रहा।।
देश -प्रेमी उद्योगी,उद्योग को बढ़ा रहे,
उत्पादन की मात्रा व गुणवत्ता बढा रहे।
धोखेबाज से तनिक भी व्यवहार न कीजिए,
चीनी सामान का क्रय -विक्रय न कीजिए।।
विस्तारवाद को मिलकर ही हराना है,
अपनी मातृभूमि को हर हाल में बचाना है।
देश -विरोधी शक्तियों का साथ नहीं देना है,
देश -प्रेमियों का ही बस साथ लेना है।।
स्वदेश -प्रेम जगाइए ,स्वदेशी अपनाइए,
भारत - माता को इस भाँति सजाइए,
बेरोजगारी को इस प्रकार भगाइये
""व्योम"" सब मिलकर वंदेमातरम् गाइये।।
-शुभेच्छु
सुरेश चंद्र शर्मा ""व्योम""
एमo 80 राम कृष्ण विहार एपार्टमेंट
इन्द्रप्रस्थ - विस्तार, पटपडगंज
दिल्ली -110092"
Web Title: Poem by Suresh Chandra Sharma , Vayam official blog content