नारी शक्ति
उठ जाग,अब देर न कर
रो कर तू सबेर न कर,
बहुत सह लिया ,बहुत सुन लिया
सिसक के बहुत मारा अपनी इच्छाओं को
पर अब बस
तू जग जा अब गहरी निद्रा से
मन को कर मजबूत
सुलग रही जो ज्वाला मन में
उसको हथियार बना
लड़ जा अनर्गल बातो से जो छलनी करती सीना तेरा,
धधका आंखों की ज्वाला को ,जो चीरहरण कोई करे तेरा
मत देख आसरा की कलयुग में अब कृष्ण कोई फिर आएगा,
ना राम कोई होगा जो सोने की लंका ढायेगा।
तुझको ही दुर्गा,काली लक्ष्मीबाई बनना होगा,
युद्ध कोई हो इस दुनिया का तुझे खुद से ही लड़ना होगा।
मत सह आघात किसी का ना तन पे ना मन पे,
नमन तुझे ऐ देश की नारी ,नारी शक्ति की जय हे।।
Web Title: Poem by Priyambada Sharma
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