"दिवाली मेड इन इंडिया वाली
राम जी के आगमन पर मिट्टी के दीयों से अयोध्या नगरी थी जगमगाई ।
प्लास्टिक के नकली दियों में कहां वो मिट्टी की सोंधी खुशबू समाई।
कैसे भूल गए कोरोना का मानवता पर प्रहार ।
कैसे भूल गए 1971 का वो खूनी वार ।
कैसे भूल गए आज भी बॉर्डर पर दुश्मन अपनी नजर गड़ाए है।
हमारी सुरक्षित दिवाली के लिए न जाने हम ने कितने सैनिक गवाएं हैं ॥
एक हाथ में गोली बारूद ,दूजे से लुभाता है ।
हमारे बाजार में पैठ कर पर हमें ही लूटना चाहता है ॥
हमारा त्यौहार , हम खरीदार ।
तो क्यों ना हो हमारा रोजगार ॥
मोदी जी ने आत्मनिर्भर भारत का नारा लगाया है ।
लोकल फॉर वोकल को अपनाना है ।
एक हाथ उन्होंने बढ़ाया है ,एक हाथ हमें भी बढ़ाना है ॥
अपनी माटी के सामान से दो अपने देश को सम्मान ।
हमारे कामगारों को भी मिलेगी पहचान ।
वो भी पूरे कर पाएंगे अपनी अरमान ॥
आप के त्यौहार की खरीदी से , कोई और भी त्योहार मना सकें ।
आपके साथ कोई और भी , अपने घर को सजा सके ।
उनके बच्चों के लबों पर , मुस्कान ला सके ॥
उस कपटी की लूट सहे और हमारे भाई भूखे मरे ।
ऐसी क्या दीवाली हो , जिसमें ना देश की खुशहाली हो ।
इस बार दिवाली आत्मनिर्भर भारत को , सक्षम बनाने वाली हो।
ये दिवाली मेड इन चाइना नहीं , मेड इन इंडिया वाली हो ।
श्री राम के स्वागत को सजती,हर एक को सुख पहुंचाने वाली हो ।
इस बार दिवाली मेड इन चाइना नहीं ,मेड इन इंडिया वाली हो ।
इस बार दिवाली मेड इन चाइना नहीं , मेड इन इंडिया वाली हो ॥"
Web Title: Poem by Namarta Goyal , Vayam official blog content