"शीर्षक:- ""माटी के दीये""
चलो, माटी के दीए जलाएं,
देश की माटी का कर्ज चुकाएं,
कर बहिष्कार चीनी सामानों को,
अपने देश को आत्मनिर्भर बनाएं।
चलो माटी के दीए जलाएं।
लूट रहा चीन हमें पंगु बना कर,
भर रहा हमारे धन से अपना घर,
क्योंकर उसके सामानों को अपनाएं,
अपना सामान हम खुद ही बनाएं।
चलो माटी के दीए जलाएं।
इस बार भी दिवाली धूम से मचेगी,
स्वदेशी सामानों से बाजार सजेगी,
हम भी कुछ कम नहीं दुनिया को बताएं,
हम सब भी अपना राष्ट्र धर्म निभाएं।
चलो, माटी के दीए चलाएं।
निश्चय हो मन में तो सब आसान है,
सरलता भारतीय संस्कृति की पहचान है,
मन की लोलुपता को दूर भगाएं,
देश का आर्थिक तंत्र मजबूत बनाएं।
चलो, माटी के दीए जलाएं।"
Web Title: Poem by Ranjana Lata , Vayam official blog content