- शत्रु सफल और शौर्यवान व्यक्ति के ही होते हैं।
- सम्मानहीन मनुष्य एक मृत व्यक्ति के समान होता है।
- यदि सर्प से प्रेम रखोगे तो भी वह अपने स्वभाव के अनुसार डसेगा ही।
- अन्याय, अधर्म आदि का विनाश करना संपूर्ण मानव जाति का कर्तव्य है।
- अपनों से बड़ों के आगे झुक कर समस्त संसार को झुकाया जा सकता है।
- तब तक परिश्रम करते रहो जब तक कि तुम्हें तुम्हारी मंजिल न मिल जाये।
- मनुष्य अपने कठिन परिश्रम और कर्मों से ही अपने नाम को अमर कर सकता है।
- समय इतना बलवान होता है कि एक राजा को भी घास की रोटी खिला सकता है।
- अगर इरादा नेक और मजबूत है। तो मनुष्य की पराजय नहीं, बल्कि विजय होती है।
एक शासक का पहला कर्तव्य अपने राज्य का गौरव और सम्मान बचाने का होता है।
- संपूर्ण सृष्टि के कल्याण के लिए प्रयत्नरत मनुष्य को युग युगांतर तक याद रखा जाता है।
- ये संसार कर्मवीरों की ही सुनता है। अतः अपने कर्म के मार्ग पर अडिग और प्रशस्त रहो।
- मातृभूमि और अपनी माँ में तुलना करना और अंतर समझना निर्बल और मूर्खों का काम है।
- नित्य अपने लक्ष्य, परिश्रम और आत्मशक्ति को याद करने पर सफलता का मार्ग सरल हो जाता है।
- समय एक ताकतवर और साहसी को ही अपनी विरासत देता है। अतः अपने रास्ते पर अडिग रहो।
- भले ही हल्दीघाटी के युद्ध ने मेरा सर्वस्व छीन लिया हो परन्तु मेरे गौरव और शान को बढा दिया है।
- गौरव, मान – मर्यादा और आत्मसम्मान से अधिक कीमती अपने जीवन को भी नहीं समझना चाहिए।
- जो लोग अत्यंत विकट परिस्थितियों में भी झुक कर हार नहीं मानते हैं। वो हार कर भी जीते जाते हैं।
- मनुष्य का गौरव और आत्मसम्मान उसकी सबसे बड़ी कमाई होती है। अतः सदा इनकी रक्षा करनी चाहिए।
- अपने और अपने परिवार के अलावा जो व्यक्ति अपने राष्ट्र के बारे में सोचता है। वही सच्चा नागरिक होता है।
- अपने अच्छे समय में अपने कर्म से इतने विश्वास पात्र बना लो कि बुरा वक्त आने पर वो उसे भी अच्छा बना दे।
- सत्य, परिश्रम और संतोष सुखमय जीवन के साधन है। परन्तु अन्याय के प्रतिकार के लिए हिंसा भी आवश्यक है।
- अपने कीमती जीवन को सुख और आराम की जिन्दगी बनाकर कर नष्ट करने से बढिया है कि अपने राष्ट्र की सेवा करो।
- जो सुख में अति प्रसन्न और विपत्ति में डर कर झुक जाते हैं। उन्हें ना सफलता मिलती है और न ही इतिहास में कोई स्थान।
- कष्ट, विपत्ति और संकट ये जीवन को मजबूत और अनुभवी बनाते हैं। इनसे डरना नहीं बल्कि प्रसन्नता पूर्वक इनसे जूझना चाहिए।
Web Title: Maharana Pratap ke anmol vachan, महाराणा प्रताप के विचार , Vayam official blog content