आत्मनिर्भर दिवाली उत्सव- Poem by Jyoti Vipul Jain

 "आत्मनिर्भर दिवाली उत्सव ।


क्यों ना इस बार आत्मनिर्भर दिवाली मनाये,

स्वदेशी वस्तुओं से अपने देश की इज्जत बढाये,

कितने दिन तक निर्भर रहेंगे दुसरे देश पर,

गर्व करो अपने स्वदेशी वस्तुओं पर ।


हमेशा धोका ही दिया चीनी लोगों ने,

सस्ती सस्ती वस्तुओं से ललचाते हमें,

महंगा रुलाये एकबार, सस्ता रुलाये जिंदगी भर,

ऐसी ही वस्तुओं से रोते हम हर पल ।


हमारा भारत आत्मनिर्भर बनाने का करेंगे प्रयास,

चलो ,आज से ही शुभ शुरुआत करें खास,

दिवाली का पावन पर्व, रामायण से जुड़ा,

अयोध्या लौटकर आये थे, साथ थी सीता मैय्या ।


प्रण ले हम सब भारतीय साथ साथ,

चीनी वस्तुओं को कहे अलविदा ,उठाकर हाथ,

स्वदेशी वस्तु अपनाना है हमेशा,

भारत का सिर गर्व से ऊंचा करना है हमेशा ।


गांधीजी के सपनों को उड़ान देंगें हम,

भारत को नयी पहचान देंगे हम,

आओ मिलकर आत्मनिर्भरता की जगाये मशाल,

अपनी भारत की चीजों की खरीदारी करें विशाल ।


जय हिंद,जय आत्मनिर्भर भारत👍👍🇮🇳🇮🇳

मेरी यह रचना स्वरचित मौलिक और अप्रकाशित है ।।

ज्योति विपुल जैन

वलसाड (गुजरात)"



Web Title:   Poem by Jyoti Vipul Jain , Vayam official blog content

vayam.app




Post a Comment

Previous Post Next Post