"कि लेकर नई प्रतिज्ञा आओ नया परिवर्तन लाए हम
आत्मनिर्भर भारत का सपना आओ सफल बनाए हम
विश्व गुरु हैं भारत, जग में सब को ये बतलाए हम
दूसरो पर निर्भर ना रहकर, स्वदेशी को अपनाए हम
ट्यूब लाईट को छोड़ के घर में दीपक नये जलाएं हम
चीनी सामानों की होली मिलकर सभी जलाएं हम
स्वदेशी हैं श्रेष्ठ राष्ट्र में, जन मानस को ये बताएं हम
दूसरों पर निर्भर ना रहकर, स्वदेशी को अपनाएं हम
इस प्रकाश के पुण्य पर्व पर उजियारा फैलाए हम
शत्रु राष्ट्र के षड्यंत्रों को मिलकर विफल बनाएं हम
देश में निर्मित चीजों का महत्व सबको समझाए हम
दूसरों पर निर्भर ना रहकर, स्वदेशी को अपनाएं हम"
Web Title: Poem by Nishant Kumar , Vayam official blog content