विषय: नारी शक्ति - Niketa Gajanan Gawande
मेरे द्वारा रचित यह कविता श्री पुष्यमित्र उपाध्याय जी द्वारा लिखित *सुनो द्रोपदी शस्त्र उठा लो* इस कविता से प्रेरित होकर लिखी गई है।
कविता का शीर्षक है,
*•स्वाधीनता*
•सुनो द्रोपदी न उठाना शस्त्र,
करना गोविंद का इंतजार।
कैसे वरना होगी जगत में,
उनकी जयजयकार॥
•राधा याद की जाती है,
माधव संग अनुराग के कारण।
पूजी गई वैदेही जगत में,
सदा अपने त्याग के कारण।
अपमानित हुई शूर्पणखा,
जो उसने मन की करनी चाहि।
विष का प्याला मिला मीरा को,
जो उसने हरि संग प्रीत निभाई।
पांचाली, तू भी एक व्यंग के कारण,
धर्म युद्ध का कारण कहलाई ॥
•हे याज्ञसेनी! तू क्रोध न कर।
नारी जीवन में इसका स्थान कहां!
ममता, त्याग, बलिदान की मूरत,
पगली! देवी है तू! इंसान कहां!
चीर तो तुम भी देती उसे,
चीर तक पहुंचे जिसके हाथ।
फिर क्या यही 'महान' सभ्यता
देती तेरा साथ?
•सबको प्यारी है तू.......
आदर्श नारी है तू.....
तब तक..... जब तक
बुद्धि तेरी चूल्हे में जलती रहे।
तेरी काबिलियत की लौ पर
सिकी हुई रोटी खाकर ......
पीढ़ियां मेरी पलती रहे ॥
•उंगली ना उठा ना किसी और पर
पंख तेरे छाॅटने वाली ....
खुद तेरी मां, दादी, और नानी है ।
दिल छोटा नहीं करते पगली!
घर घर की यही कहानी है॥
•कहानी यह नया मोड़ ले जब,
रेगिस्तान में छांव मिले।
रानी लक्ष्मी को तलवार और
सावित्री को ज्योतिराव मिले।
चिंगारी सुलगी हर मन में ....
अब ना ठहराव ना विश्राम है।
झौंक दे खुद को इस आग में कृष्णे!
यह तेरा स्वाधीनता संग्राम है।
........ तेरा स्वाधीनता संग्राम है॥
•सौ. निकेता गजानन गावंडे
Web Title: Poem by Niketa Gajanan Gawande
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