नारी!! तेरी जीवन‌ व्यथा मैं कैसे करूं बयान.. poem by Manika Goyal

 

नारी!! तेरी जीवन‌ व्यथा मैं कैसे करूं बयान......
न जाने अपने जीवन में
तूने झेले कितने तूफान...
समर्पित करी पूरी जिंदगी
सदा अपनों के नाम......
फिर भी इस बैरी दुनिया में
है न तेरी कोई पहचान.....

!!नारी!! तेरी जीवन व्यथा मैं कैसे करूं बयान......!!

पूरा बचपन जहां बिताया
सबको अपना मान...
पल‌ में पराया कर देंगे वे
थी इन बातों से अनजान...
बेफिक्र रही तू सदा वहां
बस थी तेरे सपनों की उड़ान..
पीछे छूटेगा वो आंगन
तूझे नहीं था इसका ज्ञान...

बैरी वक्त के बदलाव से
छूट गया तेरा जन्मस्थान....
पूरी दुनिया बदल गयी
मानों इक जंग था वर्तमान..
कितना मन घबराया होगा
जब होता था रोज इम्तिहान..
कैसे समझाया तूने खुद को
जो न खोयी अधरों की मुस्कान.

नारी! तेरी जीवन व्यथा मैं कैसे करूं बयान......

बेटी से जब तू पत्नी बनी
लिया मन में ये ठान......
सब को अपना कर लेगी
चाहे कितने हों लोग अनजान..
पिछले रिश्ते भुलाने थे
नये रिश्तों से थी पहचान...
सबकुछ हंस कर झेल गयी
तुझमें हिम्मत की थी खान...

नारी!!तेरी जीवन व्यथा मैं कैसे करूं बयान..

पत्नी से जब तू मां बनी
पूरी जिंदगी करी कुर्बान..
खाकर खुद रूखा सूखा
परोसती तू सबको मिष्ठान..
लगी रहे तू सुबह-शाम
भूलकर सारी थकान.....
हर मुश्किल तू सहती है
रख चहेरे पर मुस्कान....

ए नारी!!तेरी जीवन व्यथा मैं कैसे करूं बयान..

चाहे कोई माने,या न माने
पर है तू सर्वशक्तिमान....
लाती कहाँ से ‌है इतना‌ प्यार
तू सहकर ढ़ेरों अपमान...
चाहे बहन हो, या हो बेटी
या फिर माँ का रूप महान..
हर रूप में तूने बांटा प्यार
बस सबको अपना जान...

!ए नारी! तेरी जीवन व्यथा मैं कैसे करूं बयान.....!!


Web Title: manika goyal


आत्मनिर्भर दिवाली की दो प्रतियोगिताओं (कविता-प्रतियोगिता एवं लेखन-प्रतियोगिता) में भाग लें. 2,100/- का प्रथम पुरस्कार... अपनी रचनायें जल्दी भेजें ... 

vayam.app




Post a Comment

Previous Post Next Post