कविता
"हिंदी को सलाम है"
हिंद ये हिंद ये हिंदी इसकी जान है
गर्व से हम कह रहे है ये मेरी पहचान है
आन बान शान और मातृभूमि को सलाम है
तब हिंद हो शिखर पर हिंदी को सलाम है,...
शिक्षक, छात्र, चिकित्सक और जो भी जिसका काम है
हिंदी को बढ़ाना और ये बड़ा पैगाम है
हर क्षेत्र में हो हिंदी और हिंदी बोली जाये
तब हिंद हो शिखर पर और हिंदी को सलाम है,...
रेखा, खड़ी बोली और भारती इसके नाम है
ये है विशेष भाषा ना ही कोई आम है
हर श्रोता के हो कर्ण मे और वक्ता की हो जुबान पर
तब हिंद हो शिखर पर और हिंदी को सलाम है,....
तुम चाहे जो वो पा सको पर हर चीज का एक दाम है
अब हिंदी होगी शीर्ष पर और शीर्ष ही एक मुकाम है
माँ भारती की आज्ञा नतमस्तक से स्वीकार है
तब हिंद हो शिखर पर और हिंदी को सलाम है।
- आशीष गुप्ता
Web Title:आशीष गुप्ता
आत्मनिर्भर दिवाली की दो प्रतियोगिताओं (कविता-प्रतियोगिता एवं लेखन-प्रतियोगिता) में भाग लें. 2,100/- का प्रथम पुरस्कार... अपनी रचनायें जल्दी भेजें ...