नेह की तरंग और मन में वो उमंग है
जिन्दगी मेरी है जैसे ख्वाब के वो रंग हैचाहता हूँ मन में तेरे इक नया महल बने
आस का ही हो भले वो ही मेरा हल बने
इस प्रणय की इक नयी व्यथा सुनाई जायेगी
आज को संवार कर के इक नया वो कल बने
आसमानो में सभी वो सप्तवर्णी रंग हैं
जिन्दगी मेरी है जैसे ख्वाब के वो रंग है
न्यूनता सी तुम मिली अधिक वो सारे गम मिले
लाख गम धरे हुये भी मुस्कुरा के हम मिले
रुक्मिणी ना बन सकोगी ये हमें आभास है
एक जो ना हो सकेंगे तो भला क्यूँ हम मिले
उलझी डोरो में फंसी हो जैसे इक पतंग है
जिन्दगी मेरी है जैसे ख्वाब के वो रंग है
मेरे दिल में साँस की वो उलझी उलझी डोर है
जिनका हूँ मैं इक सिरा तो दूजा तेरी ओर है
मेरे दिल के घाव से उपजी इक कृति हो तुम
बेबसी और बेकली में चलता किसका जोर है
इस जहाँ में हैं बदलने के सभी वो रंग हैं
जिन्दगी मेरी है जैसे ख्वाब के वो रंग है
#रितिक यादव
Web Title Ritik Yadav
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