प्रतिभा
छेदती मिट्टी
तोड़ती फोड़ते
अपने आवरण हटाती
फेंकती झटकार
भाग्य पर अपने रोती नहीं
दृढ इच्छा शक्ति से देखती शिखर की ओर
चलती है प्रतिभा ||
न रोक पाते
प्रस्तर, पहाड़
कंकड़, काँटे
न कोई बाधा,
अपनी पृष्ठ भूमि पर रोष करती नहीं
कदम बढ़ाती जीवनोद्देश्श्य की ओर
चलती है प्रतिभा ||
वह मोहताज नहीं
खातिर पहचान की
हेतु प्रसिद्धि की
लालशा नहीं
लक्ष्मी, कुबेर का भंडारण करे,
दोषों को पार करती, बढती लक्ष्याशा की ओर
चलती है प्रतिभा ||
नहीं किसी मंच की चाह
स्वकर्म ही जिसका
आत्मबल है होता,
उसे किसी लाठी(चीन) की जरूरत नहीं
लिए आशा की किरण निश्चित दिशा की ओर
चलती है प्रतिभा ||
पुरस्कार, सम्मान
उत्तरीय न उसके
शब्दकोष में, न शौक में
आजीवन प्रतिदिन,
क्षण हर कदम योग, उद्योग, मोक्ष की ओर
चलती है प्रतिभा |||
जंजीर गुलामी की
फेंक देती है,
जिसके रग-रग में देशभक्ति का
खून बहता है,
अपनी राह खुद बनाती
स्वदेशी धारा से, देश को विकास की ओर
ले जाती है प्रतिभा ||
Web Title: Avinash Kumar Rao
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