विषय - स्वतंत्रता एवं आज़ादी
शीर्षक - हम भूल गए हैं......
हम भूल गए हैं उनको जिनसे भरत भूमि की आशा है।
हम भूल गए हैं उनको जिनसे भारत की परिभाषा है।।
हम भूल गए है उनको जिनसे भारत की अमिट कहानी है।
बच्चो का जीता बचपन है नवयुवकों मे भरी जवानी है।।
हम भूल गए हैं उनको जिसने प्राणों का बलिदान दिया।
और अपने लहू से सिंचित हमको प्यारा हिन्दुस्तान दिया।।
हम भूल गए हैं वीर शिवा , महाराणा जैसे वीरों को।
हम भूल गए हैं भरत भूमि के साधु संत फकीरों को।।
हम भूल गए हैं पृथ्वीराज की जन्म भूमि की माटी को।
हम भूल गए हैं सच्चे वीरों की पावन परिपाटी को।।
हम भूल गए हैं पन्ना धाय के त्यागपूर्ण बलिदान को।
रानी पद्मिनी के जौहर के उस स्वामिधर्म सम्मान को।।
हम भूल गए हैं वीर प्रतापी महाराणा की जवानी को।
उस नीलवर्ण चेतक घोड़े की वीर अदम्य कहानी को।।
हम उन वीर शहीदों की बलिदानी गाथाओं को भूल गए।
जब भगत सिंह,सुखदेव,राजगुरु फांसी के फंदे झूल गए।।
जब कोरो की सत्ता थर्राती थी वीरों की ललकारों से।
जब अखबारों का कोना भरा हुआ था इंकलाब के नारों से।।
जब इंकलाब का नारा भारत में चहुओर सुनाई देता था।
भारत मां की जय कहने वाला सब ओर दिखाई देता था।।
हाथों की मेंहदी बिखर गई भाई की सूनी पड़ी कलाई थी।
मां ममता से भी बढ़कर राष्ट्रप्रेम ने अपनी जगह बनाई थी।।
तब भारत के वीर सपूतों ने था प्राणों का बलिदान दिया।
और अपने लहू से सिंचित हमको प्यारा हिंदुस्तान दिया।।
~ श्याम प्रताप सिंह (वीर रस कवि , लेखक )
Web Title: Poem by Shyam Pratap Singh