स्वदेशी भारत- Poem by Amit Kumar Sharma

 

"शीर्षक  स्वदेशी भारत


जाग उठे हैं हम सब 

ना कोई अब ढग पाएगा

चाहे जितना जोर लगाले

नहीं अब झुका पाएगा।


बहुत बीत गए त्यौहार अब

देश हित का त्यौहार मनाएंगे

मिट्टी के दीए जलाकर

खुशियों की रोशनी फैलायेगे।


कुम्हार को उसकी मेहनत का दाम दिलाएंगे

देश को अब हम सब मिलकर

आत्मनिर्भर बनाएंगे।


चारों तरफ अब अपने देश का

बना सामान फैलायेगे

चाहे मोबाइल हो या एप्स

अब तो हम सब वयंम को ही अपनाएंगे।


बहुत लूट लिया चीन ने हम सब को

अब उसे मजा चखायेगे

भारत के हर कोने से इसे बाहर भगाएंगे।


चार दिन जलने वाले लाइट को हम सब बुझायेंगे

देश के हर उत्पादक को अधिक मुनाफा दिलाएंगे।


हर किसी का अधिकार युवा पीढ़ी को दिलाना है

इस निकली चाइना को उसकी औकात दिखाना है।


चीन ने बहुत कर लिया डाटा चोरी

अब ना उसकी दाल गलेगी

हर भारतीय की फोन में अब स्वदेशी एप्स ही चलेगी


आओ आज इस दिवाली  हम सब शपथ लेते हैं

चाइना का बहिष्कार कर

स्वदेशी ऐप वयम को अपनाते हैं।




Web Title:   Poem by Amit Kumar Sharma , Vayam official blog content

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