"**दीवाली पर चीनी वस्तुओ*
*का *बहिष्कार*
*1* -चीन तू कितना आतंकी और बेईमान हैं,
तेरे सामने तो हमे आततायी रावण पर भी अभिमान हैं।
*2-* कहां-कहां प्रलोभनों का जाल तू बिछायेगया,
पूरी दुनियां को नकली सामानों की चमक में उलझायेगा।
तेरी कूटनीति का साम्राज्य कब तक चलाएगा,
एक दिन भारत तेरी औकात तुझे दिखायेगा।
*3* -हमने तो सिर्फ दोस्ती का जस्बा था निभाया,
तुमने हमारी संस्कृति को खोखला कर हमें ही गुलाम बनाया।
भूल हमारी थी कि, हमने तुझे अपनाया,
आज दुनियां को तुमने अपना घिनौना रूप है दिखाया।
*4* -सुरसा की तरह मुँह फाड़े *करोना* की खलबली,
पूरी दुनियां को निगलने चीन से है जो चली।
सामानों के साथ क्या तू शमशान भी हैं बनाता,
बेकसूर लोगो को अपने बनाये वायरस से है दफ़नाता।
*5* -आज बापू के खद्दर ने फिर से हमे याद हैं दिलाया,
स्वदेशी अपनाओ,अपनो को मत करो पराया।
आज हम क्यो चाइनीस खानों और सामानों के इसतरह हो गए हैं गुलाम,
कि,
नूडल्स के जाल में फसकर बच्चे भूल गए है अपनी रोटियों के नाम।
*6* -अब तो संभल जाओ मेरे प्यारे देशवासी,
चीनी सामानों का दिल से कर दो निकासी।
दीवाली की ख़ुशी तुम अपनी मिट्टी के दिये जलाकर मनाओ,
अँधेरी झोपड़ी में एक रोशनी का दिया तुम जलाओ।
Web Title: Poem by Abha Gupta, Vayam official blog content