"आत्मनिर्भर दिवाली उत्सव ।
क्यों ना इस बार आत्मनिर्भर दिवाली मनाये,
स्वदेशी वस्तुओं से अपने देश की इज्जत बढाये,
कितने दिन तक निर्भर रहेंगे दुसरे देश पर,
गर्व करो अपने स्वदेशी वस्तुओं पर ।
हमेशा धोका ही दिया चीनी लोगों ने,
सस्ती सस्ती वस्तुओं से ललचाते हमें,
महंगा रुलाये एकबार, सस्ता रुलाये जिंदगी भर,
ऐसी ही वस्तुओं से रोते हम हर पल ।
हमारा भारत आत्मनिर्भर बनाने का करेंगे प्रयास,
चलो ,आज से ही शुभ शुरुआत करें खास,
दिवाली का पावन पर्व, रामायण से जुड़ा,
अयोध्या लौटकर आये थे, साथ थी सीता मैय्या ।
प्रण ले हम सब भारतीय साथ साथ,
चीनी वस्तुओं को कहे अलविदा ,उठाकर हाथ,
स्वदेशी वस्तु अपनाना है हमेशा,
भारत का सिर गर्व से ऊंचा करना है हमेशा ।
गांधीजी के सपनों को उड़ान देंगें हम,
भारत को नयी पहचान देंगे हम,
आओ मिलकर आत्मनिर्भरता की जगाये मशाल,
अपनी भारत की चीजों की खरीदारी करें विशाल ।
जय हिंद,जय आत्मनिर्भर भारत👍👍🇮🇳🇮🇳
मेरी यह रचना स्वरचित मौलिक और अप्रकाशित है ।।
ज्योति विपुल जैन
वलसाड (गुजरात)"
Web Title: Poem by Jyoti Vipul Jain , Vayam official blog content