खुदा है अगर हर एक जगह Pawan Amit Triwedi

 


खुदा है अगर हर एक जगह
फिर क्यों नहीं इंसान डरता है,
गरीबी बनी है एक मुद्दा यहां,
एक मुद्दत से ना कोई हल निकलता है,
हर बार सपने है टूटे यहां ,
हर बार नई जंग लड़ता रहा,

तुम्हे भी तो यारा तरस तक ना आईं ,
हंसती जिंदगी में आग क्यों लगाई,
रोया बहुत गिड़गिड़ाता रहा,
हाथ जोड़े बहुत और मनाता रहा,
अधरो मे जिसका ना सहारा कोई ,
जो तुमको मसीहा बनाता रहा,
जिसके जीवन में कोई उजाला नहीं है,
फिर भी अपने परिवार से प्रीत करता है,
हर बार है सपने टूटे यहां,
हर बार नई जंग लड़ता रहा,

ना तेरा गया ना ही तूने मिटाया
खुदा ने भी देखो तमाशा बनाया ,
अमीरी की चादर उसे भी तो मिलता,
क्यों हर एक निवाले का कर्जी बनाया ,
किस्मत भी देखो कहां साथ देती,
हर बार मेहनत उसे मात देती,
जिनके अपने है रूठे यहां,
फिर भी ना खीज करता है
हर बार है सपने टूटे यहां,
हर बार नई जंग लड़ता रहा,,
पवन अमित त्रिवेदी





Web Title:pawan amit trivedi  


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