मैं नारी हूँ Poem by Nidhi

 

विषय : नारी शक्ति
शीर्षक : मैं नारी हुँ
प्रकार : मौलिक रचना

फौलादी जिस्म नहि, 
होंसले रखती हुँ,
मैं नारी हुँ खुद को परिवार पे कुरबान करती हुँ,
मेरे हाथो में कंगन नहि, 
बन्दुक थमा कर के तो देख,
नहि बचेगा एक भी बलात्कारी ,
एक खुन माफ का एलान कर के तो देख,
मुजे घर के काम नहि , 
पढ़ना शिखा कर के तो देख,
बदल दुगी देश की हर नारी की दशा ,
बस एक बार आवाज उठा करके तो देख,
मैं नारी हुँ हार कर जीतने का दम रखती हुँ,
मुज पर तरस खाने की बजाये, 
हिंमत दे कर के तो देख,
नहि हुँ मैं लाचार पार कर सकती हुँ हर मुकाम ,
घर से आजादी दे कर के तो देख,
मेरे जिस्म पे साडी़ नहि,
खाखी वर्धि लगा कर के तो देख ,
दुगाॅ , काली , चामुंडा तू देखेगा धरती पर ही ,
बस एक बार मेरी भारत माँ की और आँख उठा कर के तो देख।।
__निधि


Web Title:NIDHI 


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