स्वतंत्रता एवं आजादी - ALOK MISHRA

स्वतंत्रता एवं आजादी 

 

             ।। श्रद्धांजलि ।। 


जिन चिरागों की बदौलत आज तक रोशन दिशाएँ, 

बुझ गये  जो  शान  से  माँ भारती  की  ले  बलाएँ,

धन्य  वह  बचपन कि जिसने शौर्य  के पौधे उगाये,

चूम  कर  फंदा जिन्होंने   राष्ट्र  हित  के  गीत  गाए,

राह  पर  कुर्बानियों  की  हम  नये  दीपक जला दें, 

जो सपूतों  ने  गढ़े  उन  रास्तों  को  फिर  सजा दें।।


ध्यान  में  रक्खें  हमेशा  इन  उजालों  की  कहानी,

हो  गयीं  कुर्बान रज  पर  धन्य  थीं  वह नौजवानी,

जो   गुलामी  के अंधेरे  को धरा  पर  सह  न  पाए, 

स्वयं को हुत  कर  जिन्होंने भूमि  पर  सूरज उगाये,

अश्रु जल का अर्घ हम उन भूमि  पुत्रों  को  चढ़ा दें, 

जो  सपूतों  ने  गढ़े  उन रास्तों  को  फिर  सजा  दें।।


केशरी,अशफ़ाक, सावरकर, सुभाष का स्वप्न साधें,

प्रगति पथ पर साथ हों  सब प्रेम की इक डोर बांधे,

भगत, बिस्मिल, चन्द्रशेखर, राजगुरु सी हो जवानी,

चेनम्मा,   दुर्गावती,   मणिकर्णिका  हो  हर  जनानी,

पथ भ्रमित नव पीढ़ियों को  राष्ट्र भक्ती  की सदा दें, 

जो सपूतों  ने  गढ़े  उन  रास्तों  को  फिर  सजा  दें।।


Web Title: Poem by Alok Mishra


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