देश का कल्याण कर त्याग कर बलिदान कर
तू नारी है नारी का सम्मान कर
तू दुर्गा है मनु है इंदरा है सीता है
अपने इस अवतार पर अभिमान कर
तू नारी है नारी का समान कर
जो बात हो आन की बान की शान की
तो वार कर प्रहार कर नारी शक्ति की पहचान कर
देश का विस्तार हो उद्धार हो उत्थान हो
ऐसा कोई काम कर तू आज नवविहान कर
तू नारी है नारी का सम्मान कर
पापों का तू नाश कर पुण्य का विकास कर
दूर अंधकार कर ना कोई भेद व्यवधान कर
तू बेटी है बहन है माँ है वधु है
इसे ध्यान कर मत उससे घमासान कर
भारत में "दहेज प्रथा" अभिशाप थी अभिशाप है
इस पाठ का तू ज्ञान कर तू ज्ञान कर
तू नारी है नारी का सम्मान कर
Web Title: Poem by DK Siddiqui
आत्मनिर्भर दिवाली की दो प्रतियोगिताओं (कविता-प्रतियोगिता एवं लेखन-प्रतियोगिता) में भाग लें. 2,100/- का प्रथम पुरस्कार... अपनी रचनायें जल्दी भेजें ...