आप सभी को मेरा प्रणाम🙏🏻
मैं आचल विजयकुमार जाजू
मेरे कविता का शिर्षक है
➡️मेरे खयालो का भारत कैसा हो....आत्मनिर्भर येसा हो।
यह शिर्षक रखने की वजह भी मैं आपके साथ साजा करना चाहूंगी।
हमे ख्वाब नही खयाल पसंद है क्यूंकि ख्वाब अक्सर टूट जाया करते हैं और खयाल हम मिलकर बदल देंगे ।
मेरे खयालो का भारत कैसा हो....आत्मनिर्भर येसा हो।
• हमारा प्यारा भारत देश हिमालये के आंगन जैसा हो
•जहा ज्ञान का शिखर मानो सुर्यदेव की किरने वैसा हो
•गुलामी से ही जिसने आजादी का असली अर्थ जाना हो
•जो स्वय: को स्वतंत्रहीत संविधान लोकतंत्र मे जन्मे सौभाग्यशाली समजने वाला हो
मेरे खयालो का भारत कैसा हो... आत्मनिर्भर येसा हो।
•केवल शस्त्रों के बल ही नही, ज्ञान से भी हर जंग जीती जाये वैसा हो
•जहा हर युग मे विकास की अहम भुमिकाये निभाई जाये वैसा हो
•अब ना रहना पडे निर्भर किसीपर इसलिये अपने संसाधन ही उपयोग मे लाया जाने वाला हो
मेरे खयालो का भारत कैसा हो..... आत्मनिर्भर येसा हो
•अपने लाठी वाले बापू के सपनो को आँखो मे सजाये रखने का संकल्प करने जैसा हो
•जहा मोदीजी के प्रयास द्वारा 20 लाख करोड लगाई गई पुंजी मानो विशेष एलान वैसा हो
•अपने मिट्टी के रंग मे रंगकर फिर स्वदेशी अपनाओ, वोकल को लोकल ही नही अब विचारो को भी ग्लोबल बनाया जाने वाला हो
मेरे खयालो का भारत कैसा हो....आत्मनिर्भर येसा हो
•हर ढलते हुये चांद से सुनहरा पेगाम पढने जैसा हो
•आज के युवाओ की कडी मेहेनत मानो आनेवाला कल का रोशनदान वैसा हो
•सोचो....बिगड़ गई जो अर्थव्यवस्था हमारी उभरेंगे इससे कैसे हम, चंद पैसे बचाने के लिये क्या अपने देश को गिरवी रखेंगे हम
•बहोत सारे समस्याओ का हल भागीदारी निभाए जाने वाला हो
मेरे खयालो का भारत कैसा हो... आत्मनिर्भर येसा हो
•भारतीय लघु उध्योग का खुलकर प्रचार प्रयास करने जैसा हो
•जो महामारी से बिगडी है पुरि अर्थव्यवस्ता,तो अब विदेशी सामान ठुकराये वैसा हो
•अधिकतम चीजे हम स्वय: बनाये, देशवासियो को शुधता का विशवास दिलाये, जो यथासंभव स्वदेशी अपनाने वाला हो
मेरे खयालो का भारत कैसा हो... आत्मनिर्भर येसा हो
•एक सोच जो अतुल्य कहानी बनेगी,वही एक प्रयास जो अद्भूत रवानी बनेगी
•अर्थव्यवस्ता, आधुनिक बुनीयादी ढांचा, जनसंख्या, प्रणाली, और 130 करोड लोगो की मांग कहलाये जो आत्मनिर्भर भारत के ये 5 स्तंब
•आओ, हम मिलकर इसे प्रतिफलित करे आखिर क्यो न लक्ष्मीजी और सरस्वतीजी को अपने भारत मे ही जतन करे
•विश्वपटल पर आत्मनिर्भर की अनकही, अनसुनी छवी दिखेंगी तभी तो हम सब की एक नई जिंदगानी बनेंगी।
मेरे खयालो का भारत कैसा हो...अवश्य आत्मनिर्भर येसा हो।
आत्मनिर्भर येसा हो।
धन्यवाद 🙏🏻
Web Title: Hindi poem by Aachal Jajoo