*नारी शक्ति* Poem by Anita Sharma

 

*नारी शक्ति*

मैं शक्ति का पुंज हूँ, हाँ मैं नारी शक्ति हूँ।
मैं सहनशीलता की प्रतिमूर्ति, मैं आदिशक्ति हूँ।।

मैं वात्सल्य से शिशु का लालन पालन करती हूँ।
गर्भ यातना सह कर भी सदा खुशहाल रहती हूँ।।

मैं सीता सी पवित्र हूँ,अग्नि परीक्षा भी देती हूँ।
मैं पति के साथ रहकर ,हर क्षण साथ देती हूँ।।

मैं काली दुर्गा बन ,दुष्टों का संहार करती हूँ।
मैं नारी हूँ सदा जगत का कल्याण करती हूँ।।

मैं इंदिरा सी राजनीतिज्ञ सियासत को जानती हूँ।
मैं पी टी ऊषा सी हर दौड़ में आगे रहती हूँ।।

मैं परिवार के सारे रिश्ते ,बखूबी निभाती हूँ।
मैं अबला नहीं सबला बन परिवार चलाती हूँ।।

देश का हर क्षेत्र में नाम रोशन मैं ही करती हूँ।
मैं भारत की बेटी हूँ, मैं ही मान बढ़ाती हूँ।।


Web Title: Anita Sharma


आत्मनिर्भर दिवाली की दो प्रतियोगिताओं (कविता-प्रतियोगिता एवं लेखन-प्रतियोगिता) में भाग लें. 2,100/- का प्रथम पुरस्कार... अपनी रचनायें जल्दी भेजें ... 

vayam.app




Post a Comment

Previous Post Next Post