मां से ही है हमारी पहचान- Kokel Devi

 

बच्चों ने देखा है  सपनो का का बादल, 

ये तो सच है ये है मां का आंचल, 


उसकी उँगली पकड़ के ही तो  हमने चलना सीखा,

उसने ही तो हमको हंसना सिखाया,


मां ही है कल की सुबह,

मां ही है आज की शाम,


मां ने ही भरी है हमारे चेहरे पर लाखो मुस्कान

मां की मुस्कान ही तो हैं चमकता हुआ गुलाब,


जो सदा  महकता है हमारे खुवाब,

ये तो सच है ये है सपनो का बादल, 


मां ही हैं जननी, मां ही है भगवान,

मां से ही है हमारी पहचान,


 ये तो सच है ये है सपनो का बादल, 


Web Title: Poem by Kokel Devi


आत्मनिर्भर दिवाली की दो प्रतियोगिताओं (कविता-प्रतियोगिता एवं लेखन-प्रतियोगिता) में भाग लें. 2,100/- का प्रथम पुरस्कार... अपनी रचनायें जल्दी भेजें ... 

vayam.app




Post a Comment

Previous Post Next Post