जन में हिंदी, मन में हिंदी- Poem by Ankit Kumar Pandey

 

"जन में हिंदी, मन में हिंदी, हिंदी हो हर ग्राम में

हिंदी का उपयोग करें हम अपने हर एक काम में

एक सूर हैं , एक ताल हैं, एक हमारी तान हैं

सारी भाषाएँ प्यारी हैं


राजभाषा हैं ये हमारी, राष्ट्रीयता का प्रतीक हैं

हिंदी का विरोध करना क्या यह बात ठीक हैं?

हिंदी की जो निंदा करते, वे अब तक नादान हैं

सारी भाषाएँ प्यारी हैं


पूरब- पश्चिम, उत्तर – दक्खिन, हिंदी का हो शासन,

हर नेता दिया करें, सिर्फ हिंदी में ही भाषण

सारे विश्व में फैले हिंदी, हम सबका अरमान हैं

सारी भाषाएँ प्यारी हैं."


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