नारी एक वरदान...
आज से पहले बंद कमरों में, मैंने सपने तोड़े थे,
सफलता की राह को पाने, के सारे मोड छोड़े थे,
कोशिश की थी आगे बढ़, सिर ऊॅंचा कर जीने की,
कदम उठा आगे बढ़ी ,हुई शुरुआत लोगों के तानों की,
आंखों में आंसू, पर दिल की चाहत थी अभिमान से जीने की,
थक हारी फिर भी ताकत थी, मुझमें लोगों से लड़ने की,
नहीं डरूंगी,नहीं रखूंगी, नहीं सुनूंगी औरों की,
सह कर ,कर देखा, रो कर देखा, अब मैं उनसे लडूंगी,
आज की नारी, सब पर भारी नारा मैंने गाया है
शादी ही है नारी की जिंदगी, यह एक केवल मोह माया है,
नारी के रूप अनेक, करती है वह सारे काम नेक ,
ना है नारी खिलौना, अपना समान कभी ना खोना,
जब-जब आगे बढ़ी नारी है,
उन से लड़ना भारी है,
नव रस जैसे, वैसे नारी के नव भाव है,
नारी के हर रूप से मिली हमें एक छाव है,
नारी है एक लाै,जिसने रोशन किया कोई दियो को,
क्या मैं सही हूं,क्या लगता है आपको?
Web Title: Surabhi hemraj joshi
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