नारी शक्ति
जीवन का हर रंग,
नारी बिन बेरंग है।
वो घर में देवी है,
तो ऑफिस में कड़क लेडी है
।वो ममता रूपी मूरत है,
तो शिक्षक बन माँ सरस्वती की सूरत है।
पत्नी बन देती प्यार की परिभाषा है,
तो औरत बन करती पूरी सबकी अभिलाषा है।
अपनों की खातिर मोहब्बत की मिसाल है,
तो दुश्मनों की खातिर बन जाती वो काल है।
घर को स्वर्ग बनाने के जानती सारे हाल है।
वो अपनों की बनती ढाल है,
तो दुश्मनों के लिए दो धारी तलवार है।
नामुरादों को धूल चटाने को,
वो बन जाती लक्ष्मीबाई है।
तो प्यार की खातिर बन जाती वो मीरा बाई है।
नारी की ममता का कोई मोल नहीं,
उसके जैसा कुछ अनमोल नहीं।
वो प्यार रूपी दवा-ए-मर्ज़ है,
जो घर को बनाती स्वर्ग है।
वो परिवार चलाना भी जानती है,
तो देश संभालना भी जानती है।
बेटी व बहू बनकर हर परंपरा को निभाती है,
तो हर फील्ड में अव्वल आकर,
देश का मान भी बढ़ाती है।
वो पुरुष प्रधान समाज पर,
चांटा-ए-वार है।
हर राह पर अडिग रहने को,
वो हर पल तैयार है।
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