नारी शक्ति
सामाज से लड़कर बेटी को जन्म देती है औरत,
पर उसी बेटी को मरता, देखती है औरत
मुश्किलों से लड़कर लड़की, बनती है औरत
पढ़-लिखकर सामाज में खड़ी, होती है औरत!
शादी के बाद सुहागन कहलाती है औरत,
पर पति की मृत्यु के बाद, सती बनजाती है औरत
परदे और घूंगट के पीछे रहती वो औरत
पर परिवार पर आँच आने पर चुप नहीं बैठती है औरत
किसी की बहन, तो किसी की बेटी है औरत
फिर भी मर्दो द्वारा अत्याचार सेहती है औरत
शक्ति है औरत, दुर्गा है औरत
इज़्ज़त और सम्मान के लिए लड़ेगी औरत
नहीं सहेगी अब कोई दुराचार वे औरत,
अब पहले की तरह लाचार नहीं है औरत!
हक्क के लिए सामाज से लड़ेगी औरत
कुछ भी करलो, अब चुप नहीं बैठेगी औरत!!
शिप्रा सिंह
Web Title: Poem by Shipra singh
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